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नवरात्रि के पहले दिन ‘जौ’ क्यों बोए जाते हैं, जानिए इसका महत्व

हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। हर साल आश्विन माह में नवरात्रि की शुरुआत होती है।आश्विन माह के नवरात्रों को शारदीय नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्रि के दिनों में माँ दुर्गा के अलग-अलग 9 शक्ति स्वरूपों की पूजा होती है। नवरात्रि के पहले दिन जौ बोने के साथ घटस्थापना होती है। ये परंपरा पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी हुई हैं जो जीवन में सुख, समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। इस साल शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होगा और 11 अक्टूबर तक चलेगा।

पौराणिक कथा के मुताबिक

जब पृथवी पर असुरों का अत्याचार बढ़ गया था, तब माँ दुर्गा ने दैत्यों का संहार कर मानव जाति को बचाया था। बताया जाता है कि संघर्ष के चलते पृथवी पर अकाल और सूखा पड़ गया था। पृथ्वी जब बाद में हरी-भरी हुई, तब सबसे पहले जौ उगे थे। इसलिए जौ को समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि में जौ बोने की परंपरा पृथ्वी पर पुनः जीवन और संपन्नता का संदेश देती है।

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना होती है। जिसमें एक मिट्टी के पात्र में शुद्ध मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोए जाते है। इस पात्र को देवी के समक्ष स्थापित कर प्रतिदिन इसमें जल अर्पित किया जाता है। बोए गए जौ अगर अच्छे से नहीं बढ़ता है या जौ टेढ़ा-मेढ़ा बढ़ता है या उसका रंग काला या पीला होता है तो उसे अशुभ माना जाता है। कहा जाता है की अगर जौ का रंग हरा या आधा सफेद है तो शुभ होता है। इसका मतलब है कि आपकी सभी परेशानियां जल्द दूर होने वाली हैं।

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