UP News : 166 पेड़ों को मिलेगा नया जीवन, लखनऊ में क्या है नया फरमान
ग्रीन कॉरिडोर के मार्ग में आने वाले 15 साल पुराने पेड़ नहीं काटे जाएंगे, एलडीए करेगा उनका प्रत्यारोपण

लखनऊ। हनुमान सेतु से कुकरैल तक प्रस्तावित ग्रीन कॉरिडोर परियोजना के अंतर्गत आने वाले पुराने पेड़ अब कटेंगे नहीं, बल्कि उन्हें सुरक्षित तरीके से नई जगह पर प्रत्यारोपित किया जाएगा। लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने इस सराहनीय पहल की शुरुआत शुक्रवार को प्राधिकरण की अध्यक्ष एवं मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब की अगुवाई में की।
इस अभियान के पहले चरण में करीब 15 साल पुराने 21 पेड़ों को गोमती रिवर फ्रंट पर विशेषज्ञों की देखरेख में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया। इनमें नीम, जामुन, पीपल, बरगद, अर्जुन, एलेस्टोनिया जैसी विभिन्न प्रजातियों के पेड़ शामिल हैं।
166 पेड़ों को मिलेगा नया जीवन
एलडीए के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बताया कि आईआईएम रोड से किसान पथ तक 28 किलोमीटर लंबे ग्रीन कॉरिडोर के निर्माण के दौरान कुल 166 पेड़ परियोजना की जद में आ रहे हैं, जिन्हें काटने के बजाय नई जगह पर जीवन देने का निर्णय लिया गया है। इस कार्य के लिए दिल्ली की एक विशेषज्ञ कंपनी से संपर्क कर तकनीकी मदद ली गई है।
6 दिन में तैयार किया गया ‘प्राकृतिक माहौल’
प्रत्यारोपण स्थल पर पिछले छह दिनों से विशेष तैयारी की जा रही थी। पुराने स्थल की मिट्टी और जलवायु के अनुसार नया प्राकृतिक माहौल तैयार किया गया। पेड़ों की जड़ों के आसपास की मिट्टी को निकालकर नई जगह मिलाया गया और अर्थ बॉल बनाकर जड़ को सुरक्षित रखा गया। साथ ही इन्सेक्टिसाइड, पेस्टिसाइड, फंगीसाइड और वर्मी कम्पोस्ट का इस्तेमाल किया गया ताकि पेड़ जल्द नये वातावरण में समायोजित हो सकें।
बारिश के मौसम में मिल रहा प्राकृतिक समर्थन
विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून के चलते 60 से 80 प्रतिशत तक पेड़ों के जीवित रहने की संभावना है। यह पहल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
मंडलायुक्त के निर्देश
डॉ. रोशन जैकब ने निर्देश दिया है कि रिवर फ्रंट के अतिरिक्त एलडीए की अन्य योजनाओं और क्षेत्रों में भी प्रत्यारोपित पेड़ लगाए जाएं। उन्होंने नदवा कॉलेज के सामने बने घाट की सफाई और वहां पौधरोपण कराने का भी आदेश दिया।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम
एलडीए की यह पहल न केवल पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक है, बल्कि विकास और हरियाली के संतुलन का आदर्श उदाहरण भी प्रस्तुत करती है। ग्रीन कॉरिडोर परियोजना जहां लखनऊ को नई पहचान देगी, वहीं पुराने पेड़ों को नई जिंदगी देकर हरियाली की विरासत को भी सहेजा जाएगा।