ईरान-इजराइल युद्ध: कितना विनाशक होगा यह संग्राम, अब क्या करेगा अमेरिका?
आने वाले कुछ घंटे और दिन दुनिया की राजनीति और शांति व्यवस्था के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं।

नई दिल्ली। पश्चिम एशिया में तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है। शनिवार तड़के ईरान और इज़राइल के बीच हुए भीषण मिसाइल और हवाई हमलों ने समूचे क्षेत्र को युद्ध की आग में झोंकने की कगार पर ला दिया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस संघर्ष में अब अमेरिका ने भी खुलकर हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है, जिससे एक बड़े क्षेत्रीय युद्ध की संभावना गहरा गई है।
इज़राइल का अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला
इज़राइल ने अपने दुश्मन ईरान पर अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला किया है। यह हमला ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने की मंशा से किया गया है। इसके जवाब में ईरान ने भी इज़राइल के विभिन्न शहरों पर मिसाइलों की बौछार कर दी। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, तेहरान से छोड़ी गई कई मिसाइलें इज़राइल के प्रमुख शहरों तेल अवीव और यरुशलम तक पहुंचीं।
ईरानी हमले में इज़राइल को नुकसान
बताया जा रहा है कि ईरानी मिसाइल हमलों में कम से कम तीन इज़राइली नागरिकों की मौत हो गई है और कई घायल हुए हैं। जैसे ही मिसाइलें इज़राइली आकाश में दिखाई दीं, पूरे देश में सायरन बजने लगे और लोग जान बचाने के लिए बंकरों की ओर भागने लगे। इज़राइली एयर डिफेंस सिस्टम (Iron Dome) ने कई मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया, लेकिन सभी हमलों को रोक पाना संभव नहीं हो सका।
यरुशलम तक सुनाई दी धमाकों की गूंज
ईरान ने शुक्रवार देर रात दो राउंड मिसाइल हमलों के बाद शनिवार सुबह एक और घातक हमला किया, जिसका निशाना इज़राइल का प्रमुख व्यावसायिक केंद्र तेल अवीव था। इस हमले की गूंज यरुशलम तक सुनी गई। विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला पूरी तरह से इज़राइली हमलों के जवाब में किया गया है, जिनमें ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों, सैन्य ठिकानों और रिवॉल्यूशनरी गार्ड के कमांडरों को निशाना बनाया गया था।
अमेरिका की भूमिका: शांति या संघर्ष?
अब सवाल उठता है – अमेरिका क्या करेगा? अभी तक अमेरिका ने इज़राइल का समर्थन करते हुए सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रख दिया है और खाड़ी क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा दी है। वॉशिंगटन से संकेत मिल रहे हैं कि अमेरिका इस संघर्ष को फैलने से रोकना चाहता है, लेकिन इज़राइल पर उसका स्पष्ट झुकाव क्षेत्रीय संतुलन को और अधिक बिगाड़ सकता है।
बढ़ते खतरे की आहट
मौजूदा हालात बेहद गंभीर हैं। अगर जल्द ही राजनयिक प्रयास नहीं किए गए, तो यह टकराव न केवल ईरान और इज़राइल तक सीमित रहेगा, बल्कि पूरा मध्य-पूर्व और वैश्विक शक्तियाँ इसकी चपेट में आ सकती हैं। दुनिया भर की निगाहें अब अमेरिका की अगली चाल पर टिकी हैं – क्या वह शांति का रास्ता चुनेगा या युद्ध को और भड़काएगा?