
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद राजनीतिक हलकों और सोशल मीडिया पर अटकलों का दौर तेज़ हो गया है। देश के अगले उपराष्ट्रपति पद को लेकर कई प्रमुख नेताओं के नाम चर्चा में हैं, जिनमें कांग्रेस सांसद शशि थरूर, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, और महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन प्रमुख हैं।
क्या शशि थरूर बन सकते हैं उपराष्ट्रपति?
कांग्रेस सांसद शशि थरूर का नाम इन संभावित उम्मीदवारों में सबसे अधिक सुर्खियाँ बटोर रहा है। हाल ही में एक वरिष्ठ पत्रकार द्वारा X (पूर्व ट्विटर) पर यह दावा किया गया कि थरूर और दो एनडीए के केंद्रीय मंत्री उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में हैं। इसके बाद से चर्चा और भी तेज़ हो गई है।
थरूर की सरकार के साथ बढ़ती नज़दीकियाँ—विशेषकर ऑपरेशन सिंदूर पर केंद्र सरकार के कार्यक्रम में उनकी सक्रिय भागीदारी—को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि वे विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के लिए एक सर्वस्वीकार्य विकल्प हो सकते हैं। हालांकि, कांग्रेस की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
जेपी नड्डा और नितिन गडकरी भी रेस में?
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का नाम भी तेजी से उभर रहा है। उनका कार्यकाल समाप्त होने वाला है, और माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी सौंप सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाने वाले नड्डा पार्टी के संगठनात्मक कामकाज में अहम भूमिका निभाते आए हैं।
वहीं, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी इस दौड़ में संभावित नामों में शामिल हैं। उनके प्रशासनिक अनुभव और देशभर में स्वीकृति को देखते हुए वे एक मजबूत उम्मीदवार हो सकते हैं। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि गडकरी को मंत्रिमंडल में बनाए रखना प्रधानमंत्री की प्राथमिकता हो सकती है।
overlooked नाम: सीपी राधाकृष्णन
इन चर्चित नामों के बीच एक नाम ऐसा भी है, जिसे अभी तक ज़्यादा ध्यान नहीं मिला है—महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन। तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले राधाकृष्णन न सिर्फ दक्षिण भारत में भाजपा के विस्तार में मददगार हो सकते हैं, बल्कि वे संगठन के पुराने और भरोसेमंद चेहरे भी हैं। उपराष्ट्रपति पद के लिए दक्षिण भारत से किसी चेहरे को लाना भाजपा की क्षेत्रीय संतुलन की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
अगला कदम?
भारत के नए उपराष्ट्रपति का चुनाव अगले 60 दिनों के भीतर होना है। एनडीए और विपक्ष अभी अपने-अपने स्तर पर संभावित उम्मीदवारों पर मंथन कर रहे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार राजनीतिक चौंकाने वाला फैसला सामने आता है या फिर कोई अनुभवशील चेहरा इस संवैधानिक पद को संभालता है।
जब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं होती, अटकलों का यह सिलसिला जारी रहेगा। लेकिन यह तय है कि नए उपराष्ट्रपति का चयन इस बार केवल संवैधानिक भूमिका ही नहीं, बल्कि राजनीतिक संकेतों से भी भरा होगा।