
नई दिल्ली। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (CM Rekha Gupta) ने अपने सरकारी आवास पर एक नए कैंप कार्यालय ‘मुख्यमंत्री जनसेवा सदन’ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना (V K Saxena), दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा, विधायकगण और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। जनसेवा केंद्र का उद्देश्य राजधानी की जनता की समस्याओं को सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुँचाना और उनका त्वरित समाधान सुनिश्चित करना है।
उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना का बयान
इस मौके पर उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने कहा, “मैं आज दिल्ली की मुख्यमंत्री को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देना चाहता हूं। यह मुख्यमंत्री की इस सोच को दर्शाता है कि वे जनता और उनकी समस्याओं को लेकर कितनी संवेदनशील हैं। आने वाले समय में दिल्ली की जनता की तकलीफों का समाधान इसी आवास से होगा। यह एक साधारण सा आवास है, जिसे जनसेवा के कार्यालय में बदला गया है।”
मंत्री कपिल मिश्रा ने की पूर्व सरकार पर तीखी टिप्पणी
दिल्ली सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा (Kapil Mishra)ने कहा, “आज मुख्यमंत्री जनसेवा सदन का लोकार्पण किया जा रहा है। इस सेवा सदन में जनता की सुनवाई के लिए समुचित व्यवस्थाएं की गई हैं। 11 सालों में यह पहली बार है जब दिल्ली के मुख्यमंत्री का आवास आम जनता के लिए खोला गया है।”
उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) पर निशाना साधते हुए कहा, “पिछले 11 वर्षों में यहां न मीडिया को आने की इजाजत थी, न ही किसी विधायक या मंत्री को। जितने बजट में केजरीवाल के ‘शीशमहल’ के पर्दे लगे थे, उससे कम बजट में पूरा जनसेवा सदन बना है। इसका टेंडर भी सार्वजनिक किया गया है। आज वे लोग मुंह छिपाते फिर रहे हैं जिन्होंने जनता से दूरी बना रखी थी, जबकि अब एक ऐसी मुख्यमंत्री हैं जिनके दरवाजे हर नागरिक के लिए खुले हैं।”
जनता के लिए खुला कार्यालय
जनसेवा सदन में आम नागरिक अपनी शिकायतें दर्ज करा सकेंगे, अधिकारियों से मिल सकेंगे और जरूरी फॉलोअप भी यहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय को पूरी तरह जनता केंद्रित कार्य प्रणाली में परिवर्तित किया गया है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (CM Rekha Gupta) के इस पहल को दिल्ली में जन-सरकार के बीच की दूरी कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। अब देखना होगा कि यह नया मॉडल वास्तव में आम लोगों की समस्याओं के समाधान में कितनी भूमिका निभा पाता है। लेकिन फिलहाल, दिल्ली की राजनीति में यह कदम एक नई राजनीतिक संस्कृति की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।