काले बगुले की अनोखी तकनीक: खुद को छतरी बनाकर करते हैं मछलियों का शिकार
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि यह व्यवहार स्मार्ट शिकारी तकनीकों का अद्भुत उदाहरण है, जो पक्षियों में दुर्लभ रूप से देखने को मिलता है।

नई दिल्ली। प्रकृति में जीवों का व्यवहार हमेशा से वैज्ञानिकों और प्रकृति प्रेमियों के लिए उत्सुकता का विषय रहा है। ऐसा ही एक रोचक और अनोखा व्यवहार देखा गया है काले बगुले (Black Heron) में, जो मछलियों का शिकार करने के लिए अपने पंखों को फैला कर खुद को एक छतरी की तरह ढक लेते हैं।
इस अनोखी तकनीक को वैज्ञानिक भाषा में “Canopy Feeding” कहा जाता है। काले बगुलों की canopy feeding तकनीक यह साबित करती है कि प्रकृति में जीवों का व्यवहार मात्र जीवित रहने के लिए नहीं, बल्कि कुशलता और चतुराई का भी परिचायक है। ऐसे जीव हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में विविधता और संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
कैसे काम करती है यह तकनीक?
काला बगुला जब पानी के पास मछलियों को पकड़ने के लिए खड़ा होता है, तो वह अपने दोनों पंखों को ऊपर की ओर फैला लेता है, जिससे उसके शरीर के चारों ओर एक गोल, छायादार घेरा बन जाता है – बिल्कुल किसी छतरी (canopy) की तरह।
इससे दो प्रभाव होते हैं:
छाया बनती है, जिससे तेज धूप से राहत मिलती है और पानी की सतह पर बेहतर दृश्यता मिलती है।
कई छोटी मछलियाँ, जो अक्सर छाया में छिपना पसंद करती हैं, इस छाया को सुरक्षित स्थान समझकर उस घेरे में आ जाती हैं और बगुला उन्हें आसानी से पकड़ लेता है।
एक शिकार तकनीक, एक प्राकृतिक चमत्कार
Canopy feeding का यह व्यवहार खास तौर पर अफ्रीकी क्षेत्रों में पाए जाने वाले काले बगुलों में देखा गया है। यह तकनीक न केवल इन पक्षियों की शिकार क्षमता को बढ़ाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे प्राकृतिक चयन और अनुकूलन जीवों को समय के साथ अधिक कुशल बनाते हैं।
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि यह व्यवहार स्मार्ट शिकारी तकनीकों का अद्भुत उदाहरण है, जो पक्षियों में दुर्लभ रूप से देखने को मिलता है।