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ODISHA TRAIN ACCIDENT : बेटे के मौत की खबर पर पिता को नहीं हुआ विश्वास, घंटो बाद मुर्दाघर से जिन्दा खोज निकाला बेटा

दरअसल, 24 साल के विश्वजीत को मृत घोषित कर दिया गया था। लेकिन उनके पिता हेलाराम को विश्वास था कि वह जिंदा हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक विश्वजीत के पिता ने कुछ घंटे पहले उसको शालीमार स्टेशन से कोरोमंडल एक्सप्रेस में छोड़ा था। इसके कुछ घंटे बाद ही जब विश्वजीत के पिता हेलाराम को ट्रेन हादसे की खबर मिली तो उन्होंने तुरंत अपने बेटे को फोन किया लेकिन उसने फोन उठाया।

ऐसे में विश्वजीत के पिता ने तुरंत एक स्थानीय एम्बुलेंस चालक को बुलाया और 230 किलोमीटर दूर बालासोर घटनास्थल पर पहुंच गए। यहां उन्होंने अपने बेटे को तलाशना शुरू किया तो वह कहीं नहीं मिला। बेटे के बारे में पूछताछ करने के बाद हिलाराम अस्थायी मुर्दाघर पहुंचे, जहां ट्रेन हादसे में मारे गए लोगों के शव रखे गए थे।

हेलाराम ने बताया कि पहले तो उन्हें वहां मुर्दाघर में प्रवेश नहीं करने दिया गया पर कुछ देर जद्दोजहद के बाद जब वह अंदर पहुंचे तो उनकी नजर एक पीड़ित पर पड़ी जिसका दाहिना हाथ हिलता हुआ दिख रहा था। हेलाराम ने जब उस हाथ की ओर देखा तो वो उन्हें विश्वजीत का लगा। उन्होंने तुरंत संबंधित अधिकारियों को उसके जीवित होने की सूचना दी और उसे तुरंत मुर्दाघर से निकालकर बालासोर सरकारी अस्पताल (DHH) ले जाया गया।

ट्रेन हादसे में गंभीर रूप से घायल होने पर डॉक्टरों ने विश्वजीत को कटक रेफर कर दिया था। हालांकि प्राथमिक इलाज के बाद पिता हेलाराम अपने बेटे को अपने साथ घर ले आये थे। अब पीड़ित का कोलकाता के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। जानकारी के मुताबिक कोलकाता पहुंचने तक विश्वजीत को होश नहीं आया था। सुबह करीब साढ़े आठ बजे उसको एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिजनों ने बताया कि रविवार को विश्वजीत की ऐंकल सर्जरी की गई थी।

इसके बाद सोमवार को दूसरे पैर की सर्जरी हुई। हादसे के दौरान उसके दाहिने हाथ में कई फ्रैक्चर हो गए थे। फोरेंसिक मेडिसिन एक्सपर्ट सोमनाथ दास ने कहा कि मामला सस्पेंडेड एनिमेशन का है। सदमे की वजह से भी यह स्थिति हो सकती है कि अंग ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। परन्तु इसे दवा के जरिए ठीक किया जा सकता है।

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