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कांवड़ यात्रा आस्था व राष्ट्रीय एकात्मता की प्रतीक, यात्रियों के संवैधानिक अधिकारों की हो रक्षा

कांवड़ यात्रा अनादिकाल से चली आ रही परंपरा है जिसमें हर वर्ष लगभग 8 करोड़ श्रद्धालु भाग लेते हैं।

नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा को लेकर उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए कहा कि यह यात्रा राष्ट्रीय एकता, समरसता और एकात्मता की प्रतीक है। इसलिए सभी धर्मों, संप्रदायों और मत-पंथों के लोगों को इसे खुले मन से न केवल स्वागत करना चाहिए बल्कि इसमें भाग लेने वाले यात्रियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा भी करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा अनादिकाल से चली आ रही परंपरा है जिसमें हर वर्ष लगभग 8 करोड़ श्रद्धालु भाग लेते हैं। ये श्रद्धालु ‘बम भोले’ और ‘भारत माता की जय’ के जयघोष के साथ तिरंगा थामे यात्रा करते हैं। यह यात्रा अब केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय भावना और एकता का प्रतीक बन चुकी है।

विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल द्वारा जारी बयान में डॉ. जैन ने बताया कि अतीत में कई बार कांवड़ यात्रियों पर हमले, मल-मूत्र और मांस के टुकड़े फेंकने जैसी घटनाएं हुईं, जिससे यात्रा बाधित होती थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सेकुलर सरकारें इन घटनाओं पर चुप्पी साध लेती थीं और जिहादी तत्वों को संरक्षण देती थीं।

उन्होंने कहा कि योगी सरकार के आने के बाद यात्रियों की सुरक्षा और सम्मान के लिए नियम बनाए गए, जिससे कुछ बदलाव नजर आए। कुछ मुस्लिम समाज के लोगों ने कांवड़ियों का स्वागत भी किया, लेकिन जिहादी मानसिकता ने नए तरीके अपनाए — जैसे थूक लगाकर रोटियां बनाना, जूस में पेशाब मिलाना, या हिंदू नाम से दुकान खोलकर यात्रियों को हलाल भोजन देना। इससे हिंदुओं की आस्था को गहरा आघात पहुंचा।

डॉ. जैन ने कहा कि यात्रियों को यह जानने का संवैधानिक अधिकार है कि वे जिस दुकान से प्रसाद या भोजन ले रहे हैं, वह किसके द्वारा संचालित है। यदि वह कोई जिहादी तत्व है तो यह जानकारी होना जरूरी है। उन्होंने यूपी सरकार द्वारा इस संबंध में बनाए गए नियमों का स्वागत करते हुए कहा कि ये नियम यात्रियों की रक्षा के लिए जरूरी हैं और स्थानीय समाज को भी उनका पालन करना चाहिए।

वहीं, उन्होंने न्यायपालिका से भी अपील की कि वह किसी भी निर्णय से पहले हिंदुओं के संवैधानिक अधिकारों पर विचार करे। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया कि वे सभी न्यायाधीशों को यह संदेश दें कि धारा 25 और 26 हिंदुओं के अधिकारों की भी रक्षा करती है, और निर्णय लेते समय स्थानीय भावनाओं, परिस्थितियों और आस्था को ध्यान में रखें।

अंत में डॉ. जैन ने कहा कि कुछ लोग इस धार्मिक यात्रा को राजनीति से जोड़ने का प्रयास करते हैं, जबकि यात्रा हर साल एक निर्धारित तिथि पर निकलती है और चुनाव तो भारत में हर महीने होते रहते हैं। उन्होंने इस प्रवृत्ति की आलोचना करते हुए कहा कि हिंदू आस्थाओं का अपमान किसी भी स्थिति में सहन नहीं किया जाएगा।

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